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what is SSLin Hindi |
इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की एसएसएल (SSL) सर्टिफिकेट क्या होता है
और एसएसएल सर्टिफिकेट किस तरह से आपकी वेबसाइट को सिक्योर बनाता है और यह किस तरह
से काम करता है। आप इसका इस्तेमाल अपनी वेबसाइट को सुरक्षित बनाने के लिए कैसे कर
सकते है और इसे उपयोग करने से क्या क्या लाभ हैं।
जब भी हम ऐसी किसी वेबसाइट को विजिट करते है जो की ssl से सिक्योर नहीं होती है तो उस वेबसाइट के सर्वर और आपके वेब ब्राउज़र के बीच में जो भी डाटा का आदान प्रदान या डाटा ट्रांसफर या कम्युनिकेशन होती है वह सुरक्षित नहीं होती है। और आपके और सर्वर के बीच की कम्युनिकेशन या ट्रांसफर होने वाले डाटा को कोई भी third party एक्सेस कर सकती है और उसे जान सकता है। और ऐसा इसलिए होता क्योंकि एचटीटीपी प्रोटोकॉल में जो भी डाटा ट्रांसफर होता है वह simple टेक्स्ट के रूप में होता है।
जब हम किसी ऐसी साइट को विजिट करते हैं जिसमे ssl certificate इनस्टॉल होता है इस प्रकार की साइट में क्लाइंट और सर्वर के बीच में जो भी कम्युनिकेशन या डाटा ट्रांसफर होता है वह encrypted होता है। यदि कोई anonymous व्यक्ति आपके और सर्वर के बीच होने वाले डाटा पैकेट को कैच या एक्सेस कर भी लेता है तब भी वह कुछ भी पता नहीं कर पायेगा और न ही कुछ पढ़ सकेगा। क्योंकि इस प्रोसेस में जो भी डाटा ट्रांसफर होता है encrypted होता है simple टेक्स्ट के फॉर्मेट में नहीं होता है।
एसएसएल सर्टिफिकेट क्या होता है (What is ssl in hindi)
एसएसएल का फुल फॉर्म सिक्योर सॉकेट लेयर है। और एसएसएल एक इंटरनेट प्रोटोकॉल है जिसको बनाने का उद्देश्य एक नेटवर्क में कम्प्यूटर्स के बीच के कम्युनिकेशन को सुरक्षित (secure) बनाना है। इस तकनीक को netscape कंपनी के द्वारा 1995 में develop किया गया था।How does SSL work?
आपने देखा होगा कुछ वेबसाइट का यूआरएल https से स्टार्ट होता है और साइट का http से स्टार्ट होता है। जिन भी websites का यूआरएल https से स्टार्ट होता उनमे ssl certificate install होता है और जिन वेबसाइट में ssl इनस्टॉल नहीं होता है उनका यूआरएल एचटीटीपी से स्टार्ट होता है।जब भी हम ऐसी किसी वेबसाइट को विजिट करते है जो की ssl से सिक्योर नहीं होती है तो उस वेबसाइट के सर्वर और आपके वेब ब्राउज़र के बीच में जो भी डाटा का आदान प्रदान या डाटा ट्रांसफर या कम्युनिकेशन होती है वह सुरक्षित नहीं होती है। और आपके और सर्वर के बीच की कम्युनिकेशन या ट्रांसफर होने वाले डाटा को कोई भी third party एक्सेस कर सकती है और उसे जान सकता है। और ऐसा इसलिए होता क्योंकि एचटीटीपी प्रोटोकॉल में जो भी डाटा ट्रांसफर होता है वह simple टेक्स्ट के रूप में होता है।
जब हम किसी ऐसी साइट को विजिट करते हैं जिसमे ssl certificate इनस्टॉल होता है इस प्रकार की साइट में क्लाइंट और सर्वर के बीच में जो भी कम्युनिकेशन या डाटा ट्रांसफर होता है वह encrypted होता है। यदि कोई anonymous व्यक्ति आपके और सर्वर के बीच होने वाले डाटा पैकेट को कैच या एक्सेस कर भी लेता है तब भी वह कुछ भी पता नहीं कर पायेगा और न ही कुछ पढ़ सकेगा। क्योंकि इस प्रोसेस में जो भी डाटा ट्रांसफर होता है encrypted होता है simple टेक्स्ट के फॉर्मेट में नहीं होता है।
महत्वपूर्ण जानकारी
कभी ऑनलाइन शॉपिंग करते समय बिना ssl या फिर बिना https (hypertext transform protocol secure) वाली वेबसाइट पर अपनी सेंसिटिव इनफार्मेशन (जैसे :- credit card, debit card और पर्सनल इनफार्मेशन) फिल न करें।


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