DNS क्या होता है और dns कैसे कार्य करता है पूरी जानकारी हिंदी में

 

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यदि आपको किसी भी वेबसाइट को विजिट करना है तो आप सिर्फ अपने ब्राउज़र में उसका डोमेन name डालकर आसानी से विजिट कर सकते है। परन्तु मान लो यही काम आपको ip (Internet Protocol) एड्रेस और एक नंबर के जरिये करना पड़े, तब आप यदि एक दिन में हज़ारों वेबसाइट को विजिट करते है तो आप उन सभी के ip एड्रेस तो याद नहीं कर सकते, परन्तु यही काम यदि नाम के जरिये करने को कहाँ जाए तब आप आसानी से सभी वेबसाइट के नाम आसानी से याद कर सकते है। 

क्योंकि ह्यूमन माइंड नंबर की वजह नाम को जल्दी कैच करता है और इसीलिए हमारे नाम न्यूमेरिक या नंबर्स  के फॉर्मेट में नहीं होते है परन्तु वहीं दूसरी तरफ कंप्यूटर की बात की जाए तो यह नंबर्स की भाषा ही समझते है और इसीलिए इंटरनेट की दुनिया में एक कंप्यूटर (या नोड ) को उसके नाम से नहीं बल्कि उसके ip एड्रेस से पहचाना जाता है 

हमें किसी भी साइट को विजिट करने के लिए बहुत सारे नंबर्स याद न करने पड़े इसीलिए कंप्यूटर इंजीनियर’s ने एक सिस्टम को introduce किया जिसका नाम है dns (domain name management system) यह हमारी सहायता किसी भी वेबसाइट को उसके ip के स्थान पर उसके डोमेन नाम से विजिट करने में करता है 

महत्वपूर्ण जानकारी
डोमेन नाम किसी भी वेबसाइट का यूआरएल होता है जैसे की उदाहरण के लिए www.example.com !

तो आप भी सोच रहे होंगे की यह DNS (Domain Name Management System) क्या है (what is dns in hindi) और कैसे कार्य करता है। चलिए डोमेन नाम मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से जानते है और समझते है की आखिर एक dns  काम कैसे करता है। 


Dns क्या है ? (what is dns in hindi)

इससे पहले कि मैं आपको dns system के बारे में बताऊँ, आप यह जान लीजिए की आखिर DNS किस प्रॉब्लम को सॉल्व करता है। 

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जब भी हम कोई वेबसाइट को किसी वेब ब्राउज़र पर सर्च कर विजिट करते है तो हम ब्राउज़र में उस वेबसाइट का डोमेन (जैसे कि - www.google.com ) एंटर करते है परन्तु जैसा की मैंने आपको बताया की कंप्यूटर सिर्फ numbers की भाषा समझते है और हम तो ब्राउज़र में word टाइप कर रहे हैं, फिर कैसे कंप्यूटर हमें उस वेबसाइट तक पहुँचता है वह इस प्रॉब्लम को कैसे  रेसॉल्व करता है। 

बैकग्राउंड में होता कुछ ऐसा है की जब भी हम किसी भी वेबसाइट का डोमेन नाम ब्राउज़र में डालते है तो सबसे पहले हमारी request DNS सर्वर पर पहुँचती है और dns सर्वर हमें उस पर्टिकुलर डोमेन का ip एड्रेस को खोज कर देता है और इसके हमारी request उस पर्टिकुलर ip एड्रेस (चूँकि ip address numbers के फॉर्मेट में होता है ) पर जाती है और इस तरह से हम उस वेबसाइट को विजिट कर पाते हैं। 

मूल रूप से dns हमारे मोबाइल की फ़ोनबुक भांति कार्य करता है जिस तरह से हम अपने मोबाइल में किसी व्यक्ति का मोबाइल उसके नाम के साथ सेव करते है और हमें बहुत सारे नंबर्स याद नहीं करने पड़ते, ठीक कुछ इसी प्रकार से हमारा Dns रिसोल्वर कार्य करता है तो चलिए dns सिस्टम की वर्किंग प्रोसेस को चरणबद्ध रूप से समझते है। 


Dns कार्य कैसे करता है? (how does dns works in hindi)

मान लीजिए आपको google.com ओपन करना है तो आप डायरेक्ट ब्राउज़र में गूगल.कॉम डालकर सर्च करेंगे, अब आपका ब्राउज़र अपने कैश मेमोरी में सर्च करेगा, की क्या इस डोमेन नाम की IP उसके कैश मेमोरी में है या नहीं जब उसे अपनी कैश मेमोरी में कोई भी रिजल्ट नहीं मिलता है 

तब हमारी request dns resolver के पास जाएगी, इसके दोबारा से dns रिसोल्वर उसकी कैश मेमोरी में खोजेगा और अगर उसे अपनी कैश मेमोरी में कोई रिजल्ट नहीं मिलता है इसके बाद dns रिसोल्वर इस query को लेकर root सर्वर पर जायेगा। 

महत्वपूर्ण जानकारी
Dns रिसोल्वर सभी ISP (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) के सर्वर पर लगे होते है और जो कि एक तरह से डोमेन नाम को उनकी IP Address में convert करने का कार्य करता है।

Root server पर इसकी ip  मौजूद नहीं  होगी, परन्तु root सर्वर को पता है की इस डोमेन की ip कहां स्टोर है, जब root  server  देखेगा की यह तो टॉप लेवल डोमेन है तो वह dns रिसोल्वर को बताएगा, कि अपनी request लेकर TLD server  पर जाओ। 

महत्वपूर्ण जानकारी
पूरे विश्व में केवल 13 Root Servers है और यह स्ट्रैटिजी कली पूरे विश्व में अलग अलग लोकेशन पर मौजूद है और इन सभी सर्वर के पास अपनी अपनी unique ip है और उन्हें 12 organizations मिलकर संभालती हैं 

इसके बाद रिसोल्वर इस request को देखेगा तो वह देखेगा की यह कौन सा टॉप लेवल डोमेन चूँकि यह .com है तो TLD सर्वर dns रिसोल्वर को इस query के साथ डॉट कॉम डोमेन के ऑथोरिएटिव सर्वर पर भेजें। 

महत्वपूर्ण जानकारी
टॉप लेवल डोमेन सर्वर सभी टॉप लेवल डोमेन के address की लोकेशन स्टोर करके अपने पास रखता है TLD Domain जैसे कि  - .com, .net, .org आदि। 

और इसके बाद ऑथरिटिव सर्वर इस पर्टिकुलर डोमेन की ip को खोजकर dns रिसोल्वर को देगा और dns रिसोल्वर उस ip को ब्राउज़र को देगा और ब्राउज़र उस ip से उस वेब पेज को रिट्रीव करके रिस्पांस के रूप में देगा। 

महत्वपूर्ण जानकारी
नोट : सभी डोमेन नाम के अलग अलग ऑथोरिएटिव सर्वर होते है और जिनमें डोमेन नाम और उसके IP Address से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी संग्रहित रहती है। 

Dns रिसोल्वर उसके पास आने वाले सभी डोमेन नाम के IP एड्रेस को अपने कैश मेमोरी में स्टोर करके रख लेता है जिससे की उसे बार बार इसी प्रक्रिया को दोहराना न पड़े।  तो कुछ इस तरह से एक Dns सिस्टम कार्य  करता है। 


मुझे उम्मीद है दोस्तों की आपको हमारे इस पोस्ट में साझा की गई, डीएनएस सिस्टम से जुड़ी यह जानकारी आपको लोगो को पसंद आयी होगी, तो यदि आप और इसी प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके हमारे अन्य आर्टिकल्स भी पढ़ सकते हैं। 

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